भारतीय मूल के अमेरिकी कारोबारी विवेक रामास्वामी ने 2024 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के लिए रिपब्लिकन पार्टी की तरफ से दावेदारी छोड़ दी है। उन्होंने पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का समर्थन करने का फैसला किया है।
ट्रंप ने रिपब्लिकन पार्टी का उम्मीदवार चुनने की प्रक्रिया की शुरुआत करने वाले आयोवा कॉकस में सोमवार को जीत हासिल की है। उन्हें रिपब्लिकन कॉकस-गोअर्स से करीब 50 फीसदी वोट मिले।
ट्रंप की इस जीत के साथ उनकी रिपब्लिकन उम्मीदवार पद की उम्मीदवारी और अधिक मजबूत हो रही है यानी राष्ट्रपति चुनाव में जो बाइडेन को टक्कर देने का सपना सच होता दिख रहा है।
अमेरिका में राष्ट्रपति उम्मीदवार के चुनाव की प्रक्रिया
अमेरिका में राष्ट्रपति उम्मीदवार चुनने की प्रक्रिया दो चरणों में होती है – प्राइमरी और कॉकस।
प्राइमरी और कॉकस दोनों ही राजनीतिक पार्टियों के अंदर उम्मीदवारों का चयन करने के लिए आयोजित किए जाते हैं। प्राइमरी में राज्य के पंजीकृत मतदाता अपनी पसंद के उम्मीदवार को वोट देते हैं। कॉकस में लोग छोटे समूहों में बैठकर उम्मीदवारों के बारे में चर्चा करते हैं और फिर अपना वोट देते हैं।
प्राइमरी और कॉकस के नतीजे के आधार पर प्रत्येक राज्य को कुछ इलेक्टरल कॉलेज के सदस्य मिलते हैं। इलेक्टरल कॉलेज एक अप्रत्यक्ष चुनाव प्रक्रिया है जिसमें 538 इलेक्टर्स होते हैं। इनमें से 270 या उससे अधिक वोट पाने वाला उम्मीदवार राष्ट्रपति बनता है।
अमेरिका में राष्ट्रपति का चुनाव कैसे होता है ?
अमेरिका में राष्ट्रपति का चुनाव इलेक्टोरल कॉलेज के द्वारा होता है। इलेक्टोरल कॉलेज में 538 इलेक्टर होते हैं जो अलग-अलग राज्यों से आते हैं। राष्ट्रपति बनने के लिए किसी उम्मीदवार को कम से कम 270 इलेक्टोरल वोट चाहिए।
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इस तरीके से होता है us इलेक्शन
- इलेक्टोरल कॉलेज के इलेक्टर दो मुख्य राजनीतिक पार्टियों, रिपब्लिकन और डेमोक्रेट, के प्रतिनिधि होते हैं। इन पार्टियों के उम्मीदवारों को प्राइमरी और कॉकस चुनावों में अपनी पार्टी का नामांकन जीतना होता है।
- अमेरिका में राष्ट्रपति का चुनाव हर चार साल में होता है। चुनाव का दिन नवंबर महीने के पहले सोमवार के बाद आने वाला पहला मंगलवार होता है। इस साल यह 3 नवंबर को होगा।
- अमेरिका में 18 साल से ऊपर के नागरिक राष्ट्रपति के लिए वोट दे सकते हैं। वोटरों को अपनी पहचान दिखानी पड़ती है। वोट डालने के लिए वोटर अपने राज्य के पोलिंग स्टेशन पर जा सकते हैं, या फिर पोस्टल बैलट के जरिए वोट भेज सकते हैं।
अमेरिका चुनाव के समीकरण और पॉलिटिकल पार्टियों के जीत के समीकरण
अमेरिका का राष्ट्रपति चुनाव का चुनावी समीकरण बहुत ही रोचक और जटिल है। अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव दो चरणों में होता है। पहले चरण में, प्रत्येक पार्टी का अपना उम्मीदवार चुना जाता है। इसे प्राइमरी या कॉकस कहते हैं। दूसरे चरण में, पार्टियों के उम्मीदवारों का आम जनता से सामना होता है। इसे जनरल इलेक्शन कहते हैं।
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अमेरिका में राष्ट्रपति का चुनाव हर चार साल में होता है। इस बार, 2024 में राष्ट्रपति का चुनाव होगा। इसमें दो प्रमुख पार्टियां हैं- रिपब्लिकन पार्टी और डेमोक्रेटिक पार्टी। रिपब्लिकन पार्टी का प्रतीक यानी चुनाव चिन्ह हाथी है और इसका रंग लाल है। डेमोक्रेटिक पार्टी का प्रतीक एक गधा है और इसका रंग नीला है।
अमेरिका में राष्ट्रपति को चुनने के लिए एक विशेष प्रणाली है, जिसे इलेक्टोरल कॉलेज कहते हैं। इसमें, प्रत्येक राज्य को अपनी आबादी के अनुपात में एक निश्चित संख्या में इलेक्टर्स या वोटर्स मिलते हैं। इन इलेक्टर्स को ही इलेक्टोरल कॉलेज के सदस्य कहते हैं। इनमें से अधिकांश राज्यों में, जिस पार्टी का उम्मीदवार राज्य में ज्यादा वोट पाता है, उसे राज्य के सभी इलेक्टर्स मिल जाते हैं। इसे विनर-टेक-ऑल सिस्टम कहते हैं। इस प्रकार, राष्ट्रपति का चुनाव वोटों की संख्या के आधार पर नहीं, बल्कि इलेक्टोरल कॉलेज के वोटों के आधार पर होता है।
अमेरिका में राष्ट्रपति का चुनाव जीतने के लिए, किसी उम्मीदवार को कम से कम 270 इलेक्टोरल कॉलेज के वोटों की जरूरत होती है। यदि कोई भी उम्मीदवार इस संख्या तक नहीं पहुंच पाता है, तो राष्ट्रपति का चुनाव अमेरिकी संसद के निचले सदन यानी हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स द्वारा किया जाता है।
अमेरिका में राष्ट्रपति का चुनाव एक लंबी और जटिल प्रक्रिया है, जिसमें कई चरण होते हैं। इसमें शामिल हैं- उम्मीदवारों का घोषणा करना, प्राइमरी और कॉकस में भाग लेना, राष्ट्रीय सम्मेलनों में नामांकन प्राप्त करना, जनरल इलेक्शन में मतदान करना, इलेक्टोरल कॉलेज में वोट देना, और अंत में राष्ट्रपति की शपथ लेना।
अमेरिका का राष्ट्रपति चुनावी समीकरण दुनिया के लिए बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि अमेरिका एक शक्तिशाली और प्रभावशाली देश है, जिसके निर्णयों और कार्यों का अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बहुत प्रभाव पड़ता है। अमेरिका के राष्ट्रपति का चुनाव दुनिया की राजनीति, अर्थव्यवस्था, सुरक्षा, वातावरण, और सामाजिक मुद्दों पर असर डालता है।