उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के दावों को पलीता लगाते स्थानीय अधिकारी दबंग पूर्व प्रधान द्वारा गांव के सार्वजनिक रास्ते पर अड़ंगा लगाकर गांव के अधिकांश लोगों के घरों तक जाने वाले इंटरलॉकिंग निर्माण को बाग वालें स्थगन आदेश की आड़ में दबंगई के साथ रोक दिया गया है। जबकि निर्माण ग्राम सभा की जमीन में हो रहा था। इस घटना से आक्रोशित ग्रामीणों ने ब्लॉक त्रिवेदीगंज, तहसील हैदरगढ़ और डीएम ऑफिस बाराबंकी को पत्र लिखकर घटना से अवगत कराते कार्यवाही की मांग की हैं। संबंधित जिम्मेदार अधिकारियों को भी शिकायती पत्रों के माध्यम से अवगत कराया गया। लेकिन काफी समय बीतने के बाद भी दबंगों ने न , निर्माण कार्य को शुरू होने दिया और न , कोई अधिकारी अभी तक घटनास्थल देखने आया है। बैरहाल प्रशासन के दावों की पोल खोलती है । ये घटना उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से सटे जिला बाराबंकी के लखौरा ग्राम सभा की है।
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शिकायती पत्र लेकर तहसील में प्रदर्शन करते हुए ग्रामीणों ने प्रशासन को अवगत कराया, कार्यवाही का इंतजार
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पूर्व प्रधान और उनके साथियों द्वारा ग्राम समाज की जमीन पर बना रहे । इंटरलॉकिंग यानी रास्ता निर्माण कार्य को दबंगई के साथ अवरोध डालते हुए रोक दिया गया है। जिसकी वजह से ग्रामीणों को रास्ते में आने जाने की समस्याएं उत्पन्न होने लगी है। इस रास्ते से अधिकतर ग्रामीण वर्तमान में कोई भी अपने घरों तक आवश्यक सामान नहीं ले जा पा रहे हैं। ग्रामीणों ने बताया है कि शादी विवाह में भी अन्य घरेलू सामानों के साथ छोटी गाड़ियों से भी घर तक नहीं पहुंचा पाते हैं । आवश्यक सामान घरों तक न पहुंचने से काफी दिक्कतें होनी शुरू हो गई है। ग्रामीणों ने अवगत कराते हुए बताया है कि ग्राम निवासी पूर्व प्रधान रघुराज पूत्र राम प्रसाद अपने सहयोगियों के साथ रास्ते में अवरोध पैदा करते हुए रास्ते के निर्माण कार्य को रुकवा दिया है। पूरी घटना को शिकायती पत्र में अंकित किया गया है जिसको पढ़कर समझने की जरूरत है। और दूसरा फोटो देख लीजिए की एक नींव भरी हुई है और इस नवीं के अंदर सरकारी खंभा गड़ा हुआ है । ग्रामीणों का आरोप है की रास्ता इस खंबे तक है लेकिन दबंग प्रधान द्वारा अवैध कब्जा करके रास्ते को अवरुद्ध किया जा रहा है।
लेखपाल लग रहा गलत रिपोर्ट, गाटा संख्या 602 पर स्थगन आदेश, लेकिन 601 पर किस आधार पर निर्माण में रोक ?
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ग्राम समाज की जमीन पर बना रहे इंटरलॉकिंग निर्माण में अवरोध के बाद ग्रामीणों ने समाधान दिवस में शिकायत के बाद वर्तमान ग्राम प्रधान वासुदेव रावत के नेतृत्व में उप जिलाधिकारी को पत्र देते हुए सार्वजनिक रास्ते के निर्माण को रोकने वालों पर कार्रवाई करते हुए निर्माण को पूर्ण कराए जाने की मांग रखते हुए जिलाधिकारी राजेंद्र कुमार को पत्र के माध्यम से अपनी समस्याओं से अवगत करवाया है।
ग्रामीणों ने बताया है कि मनरेगा योजना के तहत ग्राम प्रधान द्वारा मंसाराम यादव के दरवाजे से भरत मिस्त्री के दरवाजे तक 200 मीटर की लंबाई में इंटरलॉकिंग का निर्माण किया जा रहा था किंतु इस बीच में पूर्व ग्राम प्रधान रघुराज की बाग की जमीन पड़ती है । उसके बगल में उनका अवैध कब्जा है उन्होंने अपने साथियों समेत कब्जे के साथ रास्ते के निर्माण कार्य को भी रुकवा दिया है। ग्रामीणों द्वारा अवगत कराया गया है कि पूर्व ग्राम प्रधान ने बाग की जमीन गाटा संख्या 602 पर स्टे आदेश यानी स्थगन आदेश पारित कराया है । लेकिन ग्रामीणों का तर्क है की रास्ता ग्राम सभा की गाटा संख्या 601 पर बन रहा है। जबकि पूर्व प्रधान की बाग गाटा संख्या 602 पर स्थगन आदेश है। तो गाटा संख्या 601 का सार्वजनिक रास्ता निर्माण कार्य कैसे रोक जा सकता है ?
प्रशासन की बेरुखी और पूरे मामले में कारवाई होने में देरी की वजह से लगभग 40 मीटर की दूरी में इंटरलॉकिंग का निर्माण नहीं हो पाने की वजह से ग्रामीणों को आवागमन में काफी दिक्कतें हो रही है।
ग्रामीणों ने बताया कि लेखपाल द्वारा शासन स्तर पर गलत रिपोर्ट देकर गुमराह किया जा रहा हैं। लेखपाल की रिपोर्ट की शासन स्तर पर जांच कराने की जरूरत है। तभी दूध का दूध और पानी का पानी निकाल कर समने आएगा । गलत रिपोर्ट लगाकर गुमराह करना बेहद ही दुर्भाग्यपूर्ण बात है। इससे शासन की जीरो टॉलरेंस वाली नीतियों की धज्जियां उड़ाई जा रही है। जिलाधिकारी या मौके पर सक्षम अधिकारी जाकर स्थिति को देखें और ग्रामीणों की समस्याओं को समझे। तभी समस्याओं का संपूर्ण समाधान होने की संभावना है।
जो भी सक्षम अधिकारी खबर को देखा अथवा सुन रहे हैं उनसे आग्रह है कि ग्रामीणों की समस्याओं के समाधान के लिए अपने स्तर जांचकर कर एक्शन लेते हुए निर्माण पर शासन की मनसा अनुरूप कार्यवाही अवश्य करें।