सफला एकादशी व्रत कथा एक बहुत ही प्राचीन और पावन कथा है, जिसमें बताया गया है कि कैसे एक महापापी राजपुत्र लुम्पक ने अनजाने में इस व्रत को करके भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त की और अपने पिता का राज्य वापस पाया।
सफला एकादशी व्रत कथा, इस एकादशी की व्रत कथा मात्र से पापों से छुटकारा और धन संपदा लक्ष्मी की प्राप्ति होगी
इस कथा का सारांश यह है कि लुम्पक एक अत्यंत दुष्ट और पापी था, जो अपने पिता के धन को व्यर्थ नष्ट करता था और देवता, ब्राह्मण, वैष्णव आदि का अपमान करता था। उसके पिता ने उसे राज्य से निकाल दिया और वह एक जंगल में रहने लगा। वहां भी वह निर्दोष जानवरों का शिकार करता था और रात को नगर में चोरी और हत्या करता था। एक दिन वह एक पीपल के पेड़ के नीचे सो रहा था, जो कि भगवान विष्णु का प्रिय था। उस रात पौष मास की दशमी तिथि थी और वह ठंड के कारण नहीं सो पाया। उसने अपने पापों का पश्चाताप किया और भगवान विष्णु को याद किया। उसने अपने पास पड़े फलों को भगवान को भोग लगाया और उनकी पूजा की। अगली सुबह वह एक घोड़े पर सवार होकर अपने राज्य में लौट आया और उसके पिता ने उसे खुशी से गले लगाया। वह अपने पापों से मुक्त हो गया और भगवान विष्णु का भक्त बन गया।
यह कथा बताती है कि सफला एकादशी का व्रत कितना शक्तिशाली है, जो कि एक बार में ही इतने बड़े पापों का नाश कर सकता है। इसलिए, जो भी इस व्रत को श्रद्धा और भक्ति से करता है, उसे सफलता, सुख, समृद्धि और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
इस दिन भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करने का विधान है इस दिन गरीबों की सहायता करते हुए भगवान विष्णु मां लक्ष्मी की पूजा अर्चना श्रद्धा से करनी चाहिए। शास्त्रों में बताया गया है एकादशी की कहानी कहानी सुनने और इसका प्रचार करने से भगवान विष्णु की भक्ति से मुक्ति और विष्णु भगवान की कृपा प्राप्त होती है।
जय श्री हरि विष्णु …… ओम नमो भगवते वासुदेवाय नमः जय एकादशी माता की…