बिहार में एक और बीपीएससी टीचर की अपहरण करवा कर जबरन शादी करवा दी गई है। दुल्हा लगातार गुहार लगाता रहा कि मेरा ब्याह मत करवाओ , मार भले ही दीजिए, पूरे मामले का वीडियो देख कर मामले को समझ सकते हैं।
ताजा मामला जमुई स्थित गिद्धौर के पंच मंदिर में बीपीएससी टीचर मुकेश को पूर्णिमा नमक लड़की के परिजनों ने ग्रामीणों की मदद से पकड़ौआ शादी करा दी।
बिहार में अब नौकरी लगने के साथ ही अपने पैरों पर खड़े लड़कों की रखवाली बढ़ाने वाली है। पूरे मामले को समझने के लिए नीचे तक प्रकरण समझे।
बिहार में कानून व्यवस्था का यह आलम है कि बीपीएससी पास टीचर की पकड़ौआ शादी का मामले आने शुरू हो गए हैं इस साल के दिसंबर महीने में ही दो मामले सामने आये है। अपहरण करके की जाने वाली इस गैर कानूनी शादी की घटनाएं आज भी कानून व्यवस्था पर दाग लगाते हुए बदस्तूर जारी है। जमुई और वैशाली जिलों में दो अलग-अलग घटनाओं में दो टीचर की अपहरण करके जबरन शादी कराई गई। दोनों टीचरों ने शादी के विरोध में गुहार लगाई और पुलिस की मदद मांगी। उनके परिवार ने भी रोड जाम करके अपहरण करके कराई गई जबरन शादी से छुटकारा पाने और आरोपियों पर कार्रवाई की मांग की हैं।
बीपीएससी में सफलता पाने के बाद जमुई के टीचर मुकेश कुमार बर्मा को लड़की के परिवारवालों ने घर से उठाकर मंदिर में शादी करा दी। यहां पर प्रेम प्रसंग के पुराने मामले की बात कही जा रही है। लड़की ने कहा कि उसका 2015 से मुकेश के साथ प्रेम प्रसंग चल रहा है। मुकेश ने इसका खंडन किया और कहा कि उसे 2018 का फोटो दिखाकर ब्लैकमेल किया जा रहा है।
दूसरी घटना में वैशाली जिले के टीचर गौतम कुमार को स्कूल से उठाकर लड़की के घर ले जाकर जबरन शादी करा दी गई। गौतम ने कहा कि उसकी बंदूक की नोक पर शादी कराई गई है। उसने दुल्हन को रखने से ही इंकार कर दिया और पुलिस से गुहार लगाई है कि उसे बचा लिया जाए।
इन दोनों मामलों में पुलिस ने जांच शुरू कर दी है और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने का आश्वासन भी दिया है।
क्या होती है पकड़ौआ शादी
पकड़ौआ शादी वह शादी होती है जिसमें लड़की पक्ष के लोग लड़के को जबरन अगवा कर अपनी लड़की से शादी करा देते हैं। कानून की नजर में यह एक अवैध और अनैतिक प्रथा है। जिसका उद्देश्य दहेज या अन्य खर्चों से बचना भी होता है। बिहार में इस तरह की शादियों की पुरानी कहानियां और पुराना इतिहास रहा है।
ऐसी शादी के बाद लड़के को अपनी मर्जी के खिलाफ लड़की के साथ रिश्ता निभाने की जबरदस्ती नहीं होती है। वो कानून की नजर में वह ऐसी शादियों को रद्द करवा सकते है। और लड़की पक्ष के लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी कर सकते है। लड़की को भी अपने अधिकारों का बोध होना चाहिए और लड़की भी ऐसी शादी से मुक्ति पाने के लिए सहायता मांग सकती है।
पकड़ौआ विवाह लड़के और लड़की दोनों के जीवन को बर्बाद कर सकता है। इसे रोकने के लिए सभी को जागरूक होकर इसके खिलाफ आवाज उठाना चाहिए।
पकड़ौआ शादी पर कानूनी कार्रवाई
पकड़ौआ शादी एक अवैध और अनैतिक प्रथा है, जिसमें लड़के को अपहरण करके लड़की से जबरन शादी कराई जाती है। इसका उद्देश्य दहेज या अन्य खर्चों से बचना होता है।
पकड़ौआ शादी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा सकती है, जैसा कि पटना हाई कोर्ट ने 10 साल पुराने एक मामले में किया था, जिसमें उन्होंने एक पकड़ौआ शादी को अमान्य घोषित किया था।
पटना हाई कोर्ट ने कहा था कि हिंदू विवाह अधिनियम 1955 के अनुसार शादी के लिए सात फेरे और सात वचन की रस्में निभाना आवश्यक है। शादी में यह परंपरा नहीं निभाई जाएगी तो शादी को कानूनी तौर पर वैध नहीं माना जाएगा।
पकड़ौआ शादी के बाद लड़के को अपनी मर्जी के खिलाफ लड़की के साथ रिश्ता निभाने को मजबूर नहीं किया जा सकता है। वह ऐसी शादी को रद्द करवा सकता है और लड़की पक्ष के लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी कर सकता है।
पकड़ौआ शादी का इतिहास और घटनाएं
पकड़ौआ शादी एक ऐसी प्रथा है, जिसमें लड़के को अपहरण करके लड़की से जबरन शादी कराई जाती है। इसका उद्देश्य दहेज या अन्य खर्चों से बचना होता है। यह एक अवैध और अनैतिक प्रथा ही नहीं एक घिनौना अपराध है, जो लड़के और लड़की दोनों के जीवन को काफी हद तक बर्बाद कर देता है।
पकड़ौआ ब्याह के शुरू होने की कहानी
पकड़ौआ शादी का चलन बिहार में 1970 के दशक में शुरू हुआ, जब दहेज की मांग और लड़कों की कमी के कारण कुछ परिवार लड़कों का अपहरण करके उनसे अपनी लड़कियों की जबरन शादी करवानी शुरू कर दी। 1980 और 1990 के दशक में यह कुप्रथा बिहार के पूरे राज्य में फैल गई , खासतौर पर मगध और मिथिलांचल क्षेत्र में इसके लिए एक पूरी इंडस्ट्री चलने लगी , इसके भाई से संपन्न और अच्छी लड़के की घरवाले एक उम्र के बाद अपने लड़कों को ऐसे लोगों की नजरों से छुपा कर रखने लगे यहां तक कुछ की पढ़ाई तक बंद करवानी पड़ी थी।
पकड़ौआ शादी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी की जा सकती है, जैसा कि पटना हाई कोर्ट ने 10 साल पुराने एक मामले में साफ किया था, जिसमें उन्होंने एक पकड़ौआ शादी को अमान्य घोषित करते हुए कहा था। पटना हाई कोर्ट ने कहा था कि हिंदू विवाह अधिनियम 1955 के अनुसार शादी के लिए सात फेरे और सात वचन की रस्में निभाना आवश्यक है। शादी में यह परंपरा नहीं निभाई जाएगी तो शादी को कानूनी तौर पर वैध नहीं माना जाएगा।