झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन जमीन घोटाले के मामले में फंसने के बाद ईडी की लंबी पूछताछ के बाद राज भवन में पहुंचकर इस्तीफा दे दिया है । इसके बाद उनके भाई चंपइ सोरेन को मुख्यमंत्री बनाने के लिए विधायक दल का नेता चुना गया है
जिसके बाद राज्यपाल को विधायकों ने उनके नाम की सिफारिश करते हुए राज्यपाल बनने की मांग की है।
झारखंड के नए मुख्यमंत्री चंपइ सोरेन झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता हेमंत सोरेन दाहिने हाथ हैं और झारखंड विधानसभा के सदस्य हैं।
कौन है झारखंड के नए मुख्यमंत्री चंपई सोरेन
67 साल के चौपाई सुरेंद्र झारखंड की सराय केला सीट से विधायक है। वह हेमंत सरकार में कैबिनेट मंत्री के साथ कई महत्वपूर्ण मंत्रालय संभालने के साथ ही झामुमो के साथ संस्थापक और झारखंड के पहले मुख्यमंत्री शिबू सोरेन के दाएं हाथ माने जाते हैं। यही कारण हेमंत सोरेन भी उनका बेहद सम्मान करते हैं और कई मौके पर उनके पैर छूकर फूल माला भेंट करते हुए आशीर्वाद भी ग्रहण किया । वे झारखंड मुक्ति मोर्चा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी हैं।
बिहार से अलग झारखंड राज्य बनाने में उनकी अहम भूमिका रही यूं कहे वह आंदोलन के वक्त किसी से नहीं डरते थे चंपई सोरेन की मुलाकात शिबू सोरेन से आंदोलन में उतरने के बाद हुई । आंदोलन में वे प्रशासन से किसी तरीके से नहीं डरते थे। इसीलिए लोग उन्हें झारखंड के टाइगर नाम से पुकारते हैं। आज भी वे इसी नाम से मशहूर है।
राजनीति में आने से पहले चंपई सोरेन एक किसान थे
चंपई सोरेन के राजनीति में आने से पहले वह एक किसान थे और उन्होंने राजनीति में निर्दलीय चुनाव लड़कर 1991 में सरायकेला सीट पर उपचुनाव में उसे समय के कद्दावर सांसद कृष्णा माडी की पत्नी को हराकर तहलका मचा दिया था।
इसके बाद उन्हें झारखंड मुक्ति मोर्चा में 1995 में टिकट देकर शामिल किया गया । लेकिन 2000 में उन्हें भाजपा के अनंत राम टुंडू ने चुनाव में हरा दिया और 2005 में फिर से विधायक बने और इसके बाद सराय केला सीट पर उनका कब्जा अभी तक बरकरार है। साल 2019 में चंपई सोरेन ने भाजपा के गणेश बहाली को हराकर मौजूद समय में सियासत जारी रखे हुए हैं।
बीजेपी की गठबंधन सरकार में बने पहली बार मंत्री
इससे पहले चंपई सोरेन तीन बार मंत्री रह चुके हैं पहली बार झारखंड मुक्ति मोर्चा के समर्थन से बनी भाजपा की सरकार में मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा ने कैबिनेट मंत्री इन्हें बनाया यह 11 सितंबर 2010 से 18 जनवरी 2013 तक मंत्री रहे। इसके बाद हेमंत सोरेन की अगवाई में झारखंड मुक्ति मोर्चा के सरकार ने खाद एवं नागरिक आपूर्ति मंत्रालय के साथ परिवहन मंत्रालय भी दिया और उसके बाद जब साल 2019 में झारखंड में फिर से झारखंड मुक्ति मोर्चा की सरकार बनी। तो हेमंत सोरेन ने दोबारा अपनी सरकार परिवहन के साथ अनुसूचित जनजाति अनुसूचित जाति एवं पिछड़ा वर्ग मंत्रालय दिया ।
अब वे झारखंड मुक्ति मोर्चा के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के इस्तीफा देने के बाद मुख्यमंत्री बन गए हैं।